"ग़ज़ल"(रुबाइ)

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"ग़ज़ल  के  इस   बुतख़ाने   में  कुछ क़लम भी हैं,शमशीरें भी !  ख़ुद  आंख  से  हमने  देखी है ,  लिख देतीं  जो   तक़दीरें   भी !!  इस ग़ज़ल के ...

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